
सेक्स के बारे में अभी तक आप बहुत सारी अनेकों बातें पढ़ चुके होंगे. सेक्स के लाभों और नुकसानों के बारे में बात करना एक अलग बात है लेकिन जब सेक्स को बेहद पवित्र कहा जाएगा तो फिर आप क्या कहेंगे.

हाल ही में चर्च से प्रकाशित एक पत्रिका में सेक्स विषय के बारे में लिखा गया है कि सेक्स बेहद पवित्र होता है.
केरल का मामला
केरल में एक चर्च से प्रकाशित होने वाली एक पत्रिका में सेक्स के बारे में लिखा गया है कि सेक्स बेहद पवित्र होता है. किसी भी व्यक्ति के शरीर की कामुकता कोई गलत बात नहीं होती है. केरल में स्थित आलझुप्पा बिशप की मुखरेखा नामक एक मासिक पत्रिका निकलती है. इस पत्रिका के इस माह के अंक में सेक्स और आयुर्वेद शीर्षक से चार पन्ने का एक लेख छापा गया है.इस लेख में डॉक्टर संतोष थॉमस कहते हैं कि सेक्स शरीर और दिमाग का एक पवित्र उत्सव की तरह ही है. बिना शारीरिक संबंधों के प्यार बिना पटाखों के त्यौहार जैसा ही रह जाएगा.

अगर दो मन आपस में जुड़ना चाहते हैं तो फिर उनके शरीर को भी आपस में एक-दूसरे से जुड़ जाना चाहिये. मैगजीन के संपादक चर्च में फादर जेवियर कुड्यामेश्रे के अनुसार ऐसा पहली बार है जब हमने अपने पत्रिका में सेक्स से संबंधित कोई लेख छापा है. यह लेख व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ा हुआ रहता है और इस लेख को लिखने वाले डॉक्टर संतोष थॉमस इससे पहले भी पत्रिका मे अनेक विषयों के लिए लेख लिखते रहे हैं.
भक्तिमार्ग की धारणा
भक्तिमार्ग पर चलने वाले लोगों और इसे मानने वाले श्रद्धालुओं में आम धारणा है कि सेक्स किसी भी व्यक्ति के आध्यात्मिक जीवन के लिए अच्छा नहीं है. सेक्स का काम सिर्फ प्रजनन के लिए ही होता है. सेक्स को सिर्फ प्रजनन करने के जितनी ही अहमियत देनी चाहिये.
सेक्स के फायदे
चर्च से प्रकाशित इस पत्रिका में पाठकों को सेक्स के अनेकों शारीरिक और मानसिक फायदे भी बताये गये हैं.

आदर्श महिला
डॉ संतोष थॉमस के इस लेख में आदर्श महिला का भी उल्लेख किया गया है. इसमें लिखा गया है कि वाग्भाता के शास्त्रीय आयुर्वेद लेख आष्टांग हृदयम कहता है कि स्तनों के आकार के आधार पर महिलाओं को चार वर्गों में बांटा जा सकता है. पद्मिनी, चित्रिणी, संघिनी और हस्तिनी,.
लेख के अनुसार सेक्स जीवन का सबसे अभिन्न हिस्सा है. सेक्स किसी भी व्यक्ति को अच्छे जीवन को तरफ प्रेरित करता है.
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